आलोक नंदन शर्मा। लव रंजन की फिल्म “तू झूठी मैं मक्कार” लगता है सिर्फ मैट्रोपोलिटन शहरों में रहने वाले लोगों के लिए ही बनाई है। प्यार के नाम पर शारीरिक तृप्ति को प्राथमिकता देना फिर उस संबंध से बाहर निकलने के लिए किसी प्रोफेशनल का सहारा लेना, और उस प्रोफशनल द्वारा बिना किसी को हर्ट के किए दोनों को संबंधों से बाहर निकलने के लिए माहौल तैयार करना संभवत: किसी मेट्रोपोलिटन में भी नहीं होता होगा। फिल्म की शुरुआत ही ब्रेक की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने की प्रक्रिया से होती है, जिसकी वजह से दर्शक सहजता से अपने आप को फिल्म की कहानी से नहीं जोड़ पाते हैं।
“प्यार का पंचनामा” और “ सोनू के टीटू की स्वीटी” जैसी फिल्म को निर्देशन करने वाले लव रंजन कहानी के सलेक्शन में मात खाते हुए दिख रहे हैं। उनकी सोच का दायरा इतना सीमित जान पड़ता है कि मेट्रोपोलिटन में रहने वाले लोगों की जिंदगी को भी ठीक से समझने में असमर्थ दिखते हैं। फिल्म की टाइटल का भी स्टोरी से दूर दूर तक कोई कनेक्शन नहीं दिखाई पड़ता है। इसलिय यह फिल्म सस्ता मनोरंजन का जरिया बनने तक ही सीमित रह जाती है। भारतीय सिनेमा के इतिहास में फिल्म “तू झूठी मैं मक्कार” अपने लिए कोई अहम जगह बनाती हुई नहीं दिखती।
बड़े बड़े मॉनोलॉग बोलने के अलावा रणबीर कपूर हीरी मिकी की भूमिका में कोई नई लकीर खींचते हुए नहीं दिखते हैं। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है जैसे वह अपने आपको दोहरा रहे हैं। वैसे उनके चाहने वालों को निश्चितौर पर दिल्ली के मिकी उर्फ रोहन अरोड़ा का यह किरदार पसंद आएगा। लेकिन जो लोग उनसे कुछ नया का उम्मीद करते हैं,कहानी के भी स्तर पर और अभिनय के भी स्तर पर, उन्हें निराश हाथ लगेगी। “संजू” और “रॉकस्टार” जैसी फिल्मों में उनके दमदार अभिनय का स्वाद चख चुके दर्शकों को उनसे उम्मीदें कुछ ज्यादा है, जो लाजिमी है और इस बात का अहसास रणबीर कपूर को होना चाहिए।
श्रद्धा कपूर ने अपने साक्षात्कार में इस फिल्म को रोमांटिक कॉमेडी करार दिया था, लेकिन जिस तरह से इस फिल्म की शुरुआत ब्रेकअप कराने की पहल से होती है और आगे जिस तरह से फिल्म के नायक और नायिका मिलते हैं और उसमें सिर्फ फुहड़पन का ही मुजाहिरा होता है। हालांकि इस दौरान कुछ हास्य सीन गढ़े जाते हैं लेकिन वह भी दर्शकों के दिलो दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब ही रहते हैं। लेकिन श्रद्धा कपूर के चाहने वालों की संख्या अच्छी खासी है। इस फिल्म में अभिनय के दौरान लगता है उनके दिमाग में उनके फैन फोलोवर्स ही चल रहे थे। एक सशक्त अभिनेत्री के तौर पर भारतीय सिनेमा में खुद को मजबूती से स्थापित करने के लिए उन्हें अपने किरदारों में वैरायटी लानी होगी। समय के साथ शायद वह इस रहस्य को समझ सके। टिन्नी के किरदार में श्रद्धाकपूर का ब्रेक के लिए अनजाने में मिकी को फोन करना, जिससे वह पहले भी मिल चुकी है, नाटकीयता की हद है। आम जिंदगी में इस तरह के वाकियात नहीं होते। बहरहाल, रणबीर कपूर के साथ उनकी कैमेस्ट्री पर्दे पर रोचक दिखती है। बेहतर स्क्रीप्ट और बेहतर कहानी के साथ वे लोग आएंगे तो निश्चतौर पर दर्शकों के दिमाग में यादगार छवि छोड़ने में कामयाब होंगे। फिल्म के लेखक राहुल मोदी और लव रंजन है, जिस तरह से कहानी और पटकथा को उन्होंने बुना है उससे साफ पता चलता है कि जमीनी स्तर पर भारतीय समाज की उन्हें समझ नहीं है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है। इसे फिल्म का मजबूत पक्ष भी कहा जा सकता है। फिल्म में डिंपल और बोनी कपूर दर्शकों को सुखद अहसास कराते हैं।
नोट: टाइमपास के लिए अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एक बार यह फिल्म देख सकते हैं।
कलाकार: रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, डिंपल कपाड़िया, बोनी कपूर, अनुभव सिंह बस्सी, मोनिका चौधरी
निर्देशक: लव रंजन
लेखक: राहुल मोदी और लव रंजन
निर्माता : लव रंजन, अंकुर गर्ग, भूषण कुमार और कृष्ण कुमार
अवधि: 164 मिनट