मुंबई। पिछले कुछ समय से किसी फिल्म को देशद्रोही करार देकर उसका बायकॉट करने वाले लोगों का एक समूह हिन्दुस्तान में सक्रिय है। इस समूह द्वारा आये दिन किसी न किसी फिल्म को टारगेट किया जाता है और फिर पूरी ताकत का इस्तेमाल दर्शकों को उस फिल्म से दूर रखने में किया जाता है। सबसे पहले यह समूह किसी फिल्म को लेकर अपना एक ओपिनियन बनाता है और फिर उस ओपिनियन का विस्तार सोशल मीडिया के जरिये करता है। इस बार बॉयकॉट समूह अनुभव सिन्हा की फिल्म “भीड़” को टारगेट करने के मूड में दिख रहा है। हालांकि अभी से ही इस समूह को इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता पंकज कपूर ने करारा जवाब देकर जता दिया है कि किसी भी कीमत पर इस बायकॉट समूह की चलने नहीं दी जाएगी।
दरअसल फिल्म “भीड़” का हाल ही में ट्रेलर रिलीज किया गया था। इस ट्रेलर को देखने के बाद बायकॉट समूह के लोगों ने सोशल मीडिया पर इस फिल्म को देशविरोधी बताकर इसके खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया था। उनलोगों को यह रास नहीं आ रहा था कि कोरोना से प्रभावित लोगों की तकलीफों पर कोई फिल्म बनें और लोग उस फिल्म के जरिये कोरोना काल के दौरान लॉकडाऊन की त्रासदी को फिर से याद करे। इसलिए सिर्फ ट्रेलर देखकर इस फिल्म के खिलाफ इनलोगों ने सोशल मीडिया पर माहौल बनाना शुरु कर दिया।
बायकॉट समूह की हरकतों पर नाराजगी जताते और उनकी खबर लेते हुए अभिनेता पंकज कपूर, जो इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार भी निभा रहे हैं, ने कहा है कि लोगों को पहले फिल्म देखनी चाहिए। इसके बाद अपनी राय शेयर करनी चाहिए। आपको यह महसूस करना चाहिए कि हमारे समाज में, जिसे आप हमारी फिल्मों में देखते हैं, वहां बारिश की एक बूंद से पहले ही मानसून का एलान कर दिया जाता है।
पंकज कपूर यही नहीं रूके। उन्होंने आगे कहा है कि हम बहुत बेताब और हर चीज पर ओपिनियन देने वाले हैं। सब्र रखने के बजाये हम बंदूक उछाल देते हैं। आप ओपियन दे सकते हैं लेकिन पहले फिल्म तो देखिये। एक टीजर या फिर ट्रेलर देखकर आप इस फिल्म पर राजनीतिक फिल्म का ठप्पा नहीं लगा सकते। यह एक एनालिटिकल फिल्म है, जो हमारे समाज की मानसिकता के बारे में बात करती है, हम कैसे सोचते हैं, हम किसी स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। बहुत कम फिल्मों में ऑथोरिटी को ऐसे सकारात्मक रूप में दिखाया गया है, जैसा कि इस फिल्म में।
गौरतलब है कि इस फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा आमतौर पर रियलिस्टिक स्टफ वाले सबजेक्ट का चयन अपनी फिल्मों के लिए करते हैं।“आर्टिकिल 15”, “अनेक”, “मुल्क” और “थप्पड़” जैसी फिल्में बनाकर उन्होंने साबित कर दिया है कि उनके लिए फिल्म सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं है, बल्कि फिल्मों का सीधा संबंध सरोकार से है। अपनी फिल्म “भीड़” में भी उन्होंने कोरोना काल के दौरान लगाये गये लॉकडाउन की जिंदगी को पूरी शिद्दत से पर्दे पर उकेरने की कोशिश की है। वह कितने कामयाब हुए हैं वह तो फिल्म को देखने के बाद ही पता चलेगा।