मुंबई। मुंबई में “भारत : साहित्य एवं मीडिया महोत्सव” का आयोजन किया गया जिसकी शुरुआत मराठी पत्रकारिता के पितामह आचार्य बालशास्त्री जांभेकर तथा हिन्दी साहित्य व पत्रकारिता के स्तम्भ रहे डॉ. धरमवीर भारती को याद कर एवं उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर हुई। इसका आयोजन काशी – वाराणसी विरासत फाउंडेशन, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई मराठी पत्रकार संघ तथा केंद्रीय हिंदी निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
महोत्सव का उद्घाटन सिक्किम के राज्यपाल महामहिम श्री लक्ष्मण आचार्य ने वर्चुअल माध्यम से किया तथा समारोह के मुख्य अतिथि थे महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष श्री राहुल नार्वेकर एवं विशिष्ट अतिथि रहे महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री श्री कृपा शंकर सिंह तथा सारस्वत अतिथि रहे इस्कॉन के मैनिजिंग ट्रस्टी स्वामी सूरदास।
सिक्किम के राज्यपाल महामहिम श्री लक्ष्मण आचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि मीडिया व साहित्य का मूल उद्देश्य लोक कल्याण है। महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष श्री राहुल नार्वेकर ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य और मीडिया समाज का निर्माण करते हैं। इस्कॉन के मैनिजिंग ट्रस्टी स्वामी सूरदास ने भारतीय चिंतन के परिप्रेक्ष्य में साहित्य और मीडिया के महत्व को रेखांकित किया। पूर्व मंत्री कृपा शंकर सिंह ने कहा कि इस आयोजन ने काशी और महाराष्ट्र को निकट लाने का श्रीगणेश किया है।
समारोह में राजभाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु विभिन्न दर्जन भर साहित्यकारों, विद्वानों, एवं समाज सेवियों को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा सम्मानित किया गया जिनमें प्रमुख हैं वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राम सुधार सिंह, भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक (राजभाषा) श्री संजीव पाण्डेय, केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किंशुक पाठक, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सदस्य श्री ओम प्रकाश त्रिपाठी, काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डॉ. अत्री भारद्वाज, कवि कमलेश भट्ट कमल, वरिष्ठ फोटोग्राफर मनीष खत्री इत्यादि।
साथ ही काशी – वाराणसी विरासत फाउंडेशन के संरक्षक व पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा, केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक सुनील कुलकर्णी, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे, मुंबई मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र वाबले तथा फाउंडेशन के कार्याध्यक्ष प्रो. राम मोहन पाठक ने अपनी गरिमामयी उपस्थिती से मंच को सुशोभित किया एवं अपने विचार प्रस्तुत किए।