मन की बात” ने भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपरा में सामान्य लोगों की रुचि को पुनर्जीवित किया है

मुंबई। प्रधानमंत्री के संबोधन और अत्यंत लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में लोगों के साथ उनकी बातचीत ने भारत की समृद्ध संस्कृति तथा परंपरा में सामान्य जन की रुचि को पुनर्जीवित किया है। आज नई दिल्ली में मन की बात @100 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ‘विरासत का उत्थान’ पर दूसरे सत्र में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित पैनल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की पहल जमीनी स्तर पर लोगों को पहचान देती है।

रेडियो शो के मेजबान और कथाकार नीलेश मिश्र ने चर्चा प्रारंभ करते हुए बच्चों के साथ जनजातीय क्षेत्र में अपनी यात्रा, वन भूमि से जुड़े लोगों के साथ अपनी मुलाकातों और उनकी खोज के बारे में बताया कि किस तरह जनजातीय लोग अपने दैनिक जीवन में विरासत के साथ रह रहे हैं। भारत के सबसे अधिक पसंदीदा कथाकार और बिग एफएम के ‘यादों का इडियट बॉक्स’ शो के मेजबान मिश्र ने कहा कि मन की बात एक असाधारण पहल है, जो हमें अपनी जड़ों की ओर वापस ले जाती है।
सेव चीटे लुई मूवमेंट के महासचिव पर्यावरणविद् रोचमलियाना ने मिजोरम में चिटे लुई नदी को पुनर्जीवित करने के अपने अभियान के बारे में बात की, जो राज्य की राजधानी आइजोल से गुजरती है। उन्होंने नदी निकायों के समग्र दृष्टिकोण का आग्रह करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में मन की बात की 90वीं कड़ी में अभियान की सफलता पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के शब्द लोगों को हमारी नदी प्रणाली को संरक्षित करने तथा उन्हें पर्यावरणीय क्षरण से बचाने के लिए प्रेरित करेंगे।”

“गोरया बचाओ” अभियान चलाने वाले पर्यावरण संरक्षणवादी जगत किंखाबवाला ने कहा कि हम विकास की अनदेखी नहीं कर सकते, लेकिन हमें अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों को साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 2017 में ‘गौरैया बचाओ’ अभियान को छुआ तो कार्यक्रम के बारे में जागरूकता बढ़ी और यहां तक कि अमेरिका तथा अन्य देशों के पर्यावरण कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हो गए। स्पैरोमैन के नाम से लोकप्रिय उन्होंने कहा कि गौरैया मानव बस्तियों के पास रहती हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य लाभ के लिए काम करने वाली अकेली प्रजाति है। उन्होंने कहा कि हम इस पृथ्वी के मालिक नहीं हैं।

तीन बार के ग्रेमी पुरस्कार विजेता संगीतकार और पर्यावरणविद रिकी केज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात एपीसोड में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित जनजातीय संगीतकारों के बारे में बात की और अगली कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने सुरश्रृंगार वादक जयदीप मुखर्जी और मैंडोलिन प्रतिपादक उप्पालापू श्रीनिवास जैसे कलाकारों का उल्लेख किया, जिनके बारे में प्रधानंत्री ने कहा, “इन उपकरणों में नई जान फूंक दी है।” उन्होंने कहा कि मन की बात के साथ प्रधानमंत्री ने भारत में जन्मे लोक संगीत के स्वरूपों को मुख्यधारा में ला दिया है।

भरतनाट्यम नृत्यांगना और अभिनेत्री शोभना चंद्रकुमार ने कहा कि आईटी कौशल सहित भारत के विकास की कहानी सुनाते हुए हमें अपनी संस्कृति की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा भारत विविध लोगों और संस्कृति से भरा विशाल देश है। उन्होंने कहा कि इसे पोषित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि तंजावुर मंदिर की उनकी यात्रा के दौरान चोटियों पर भित्ति चित्रों को तोड़े जाने से उन्हें दुख हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम लोगों को हमारी विरासत स्थलों की यात्रा करने और उन्हें संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता रहा है।

पत्रकार और टीवी न्यूज एंकर पलकी शर्मा ने कहा कि संस्कृति को महाशक्ति के लिए मुद्रा के रूप में देखना होगा। उन्होंने कहा कि विश्व अब भी भारत को सपेरों की भूमि के रूप में देखता है और हमें अपनी समृद्ध संस्कृति तथा स्मारकों के बारे में अधिक बात करते हुए टेक्नोलॉजी तथा अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी उभरती सफलता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सिड-के नाम से प्रसिद्ध टीवी और आरजे सिद्धार्थ कन्नन ने कहा कि मन की बात से प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रेडियो की ताकत साबित की है, एक मित्र और बड़े भाई की तरह देश की जनता से बात की है। ऑस्कर में भारतीय संगीत की हाल की सफलता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘भारत भारत की कहानी सुनना चाहता है।”

सत्र का समापन करते हुए श्री नीलेश मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मोटे अनाजों में लोगों की रुचि को पुनर्जीवित किया। उन्होंने कहा कि हमने वर्षों तक मोटे अनाजों की अनदेखी की, जबकि पश्चिम ने इसे सुपर फूड कहा, तभी हमारे भोजन के स्वाद पर मोटे अनाज के प्रति जुनून ने उन्माद का रूप लिया।

मन की बात अत्यधिक लोकप्रिय कार्यक्रम है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री लोगों को संबोधित करते हैं और समकालीन विषयों पर लोगों से बातचीत करते हैं। 3 अक्टूबर 2014 को अपने प्रारंभ के बाद से इस कार्यक्रम ने 26 मार्च 2023 तक कुल 99 कड़ी को कवर किया है।