मुंबई। फिल्म ‘आदिपुरुष’ के लेखक मनोज मुंतशिर अब यह तर्क दे रहे हैं कि रामायण का उन्होंने रूपांतरण नहीं किया है बल्कि यह फिल्म रामायण से प्रेरित है। फिल्म आदि पुरुष में जिस तरह के सड़क छाप डायलॉग का इस्तेमाल किया गया है उसे लेकर के मनोज मुंतशिर की कटु आलोचना हो रही है। इन्हीं आलोचनाओं से घबरा करके अब वह कह रहे हैं कि यह रामायण नहीं है बल्कि रामायण से प्रेरित फिल्म है। उनके इस तर्क को सुनकर के सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों का गुस्सा और भड़क उठा है। वह मनोज मुंतशिर काजम कल के माखौल भी उड़ा रहे हैं, और व्यंग बाण भी चला रहे हैं।
एक खबरिया चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि हम लोग शुरू से ही जान रहे थे कि हम रामायण नहीं बना रहे हैं। हम रामायण से प्रेरित होकर के काम कर रहे थे। हालांकि लोग उनके इस तर्क को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। सोशल मीडिया पर उनसे सवाल किया जा रहा है कि यदि आप लोग रामायण नहीं बना रहे थे तो थिएटर के अंदर हनुमान जी के लिए एक सीट क्यों छोड़ा जा रहा था?
एक वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मत्मज ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है कि फिल्म के निर्देशक ओम राउत और लेखक मनोज मुंतशिर अपनी इस फिल्म को लेकर के बचाव में जितना ज्यादा तर्क देंगे उतना ही फंसते आएंगे। और यही हो भी रहा है।
अभी खबर आ रही है कि अब इस फिल्म के डायलॉग को तब्दील करने की योजना है। दर्शकों की तीखी प्रतिक्रिया को देख कर के कहां जा रहा है कि इस फिल्म के तमाम विवादास्पद संवादों को बदल दिया जाएगा। लेकिन दर्शक इस पर भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए फिल्ममेकर से पूछ रहे हैं कि आप संवाद तो बदल देंगे लेकिन बजरंगबली को जिस तरीके से आप लोगों ने तबलीगी अंदाज में पेश किया है उसे कैसे बदलेंगे?
बजरंग बली द्वारा अशोक वाटिका में माता सीता के अभिवादन के अंदाज़ पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
आलोचकों का कहना है कि सनातन परंपरा में बड़ों को अभिवादन हाथ जोड़ करके किया जाता है जबकि बजरंगबली मुट्ठी बांध करके अपने छाती पर हाथ रख कर के माता सीता का अभिवादन कर रहे हैं। इस तरह के अभिवादन एडोल्फ हिटलर के नाजीवादी पार्टी के कार्यकर्ता किया करते थे।
गौरतलब है कि रामानंद सागर की धारावाहिक रामायण में भगवान श्री राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल ने भी आदिपुरुष में जिस तरह से राम के किरदार को दिखाया गया है अपनी तीखी नाराजगी व्यक्त की है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा है कि हमारी संस्कृति को कोई कैसे बदल सकता है। भगवान राम भारत के लोगों के दिल दिमाग में रचे बसे हुए हैं। उनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ उचित रही है।
फिल्म आदिपुरुष के नाम को लेकर के भी लोग कड़ी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं। उनका कहना है कि आदि पुरुष मनु है भगवान राम नहीं। भगवान बलराम आना भी पुरुष हैं, वह ब्रह्म हैं जिनका न आदि है भी है और न अंत है।
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