भारत में महिलाएं बहुत आगे निकल चुकी हैं और तरक्की के मामले में दुनिया को पीछे छोड़ दिया है: रवीना टंडन

मुंबई ।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की निरंतर सफलता को स्मरणीय बनाने के लिए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मन की बात पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पूरे भारत में 100 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच चुका है। सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने सम्मानित अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर की उपस्थिति में किया। देश के विभिन्न हिस्सों से 100 से अधिक सम्मानित नागरिक जिनका उल्लेख प्रधानमंत्री द्वारा “मन की बात” के विभिन्न एपिसोड में किया जा चुका है, वे सब भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान “नारी शक्ति”, “विरासत का उत्थान”, “जन संवाद से आत्मनिर्भरता” और “आह्वान से जन आंदोलन” जैसे मुख्य विषयों पर प्रकाश डालते हुए चार पैनल चर्चा सत्र आयोजित किये गए।

चर्चा का संचालन प्रसिद्ध उद्घोषक एवं कार्यक्रम संचालक सुश्री ऋचा अनिरुद्ध द्वारा किया गया था। पुद्दूचेरी की पूर्व उपराज्यपाल सुश्री किरण बेदी, आईपीएस (सेवानिवृत्त) और एथलीट सुश्री दीपा मलिक, अभिनेत्री सुश्री रवीना टंडन, द बेटर इंडिया के संस्थापक व सीईओ श्री धीमंत पारेख, आरजे नितिन, मुक्केबाज सुश्री निकहत जरीन तथा पर्वतारोही सुश्री पूर्णा मालवथ जैसी जानी-मानी हस्तियों की उपस्थिति ने अन्य अतिथियों के मन में उत्साह का संचार किया। सुश्री मालवथ ने साल 2014 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी और ऐसा करने वाली वे दुनिया की सबसे कम उम्र की बालिका हैं। उन्होंने वर्ष 2022 में सात-चोटियों के पर्वतारोहण की चुनौती पूरी की और जून, 2022 में मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा उनकी प्रशंसा की गई।

फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन ने अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कला के बारे में बात की। उन्होंने मजबूत महिला पात्रों और महिला सशक्तिकरण विषयों के साथ फिल्में करने के बारे में कहा कि फिल्म उद्योग में बहुत सारे बदलाव आए हैं, जो 90 के दशक और उससे पहले के दशकों में नहीं थे। रवीना ने कहा कि उस समय सामाजिक व्यवस्थाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से कलाकारों के लिए एक संघर्ष की स्थिति होती थी, क्योंकि इन्हें बॉक्स ऑफिस के अनुकूल या फायदे वाली फिल्में नहीं माना जाता था, जो दर्शकों को पसंद भी नहीं आती थीं। सुश्री टंडन ने कहा कि उन्होंने एक सकारात्मक सामाजिक संदेश के साथ अधिक से अधिक फिल्में करने की कोशिश की, दमन एक ऐसी फिल्म थी जो 2000 में बनी थी और 23 साल बाद भी वैवाहिक दुष्कर्म अभी भी एक मुद्दा है। उस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और यह सही भी है क्योंकि यह अपने समय से आगे का विषय था और हम अभी भी इन मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। रवीना ने कहा कि समाज में बदलाव हुआ है। महिलाओं को फिल्म उद्योग में सभी प्रकार के कार्यों में अधिक स्वीकार किया जाता है और उनके पास अधिक अवसर होते हैं क्योंकि उनके पास संवेदनशीलता तथा मुद्दों की समझ होती है। आज फिल्म उद्योग में महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक भुगतान भी किया जाता है और वे टीवी उद्योग पर राज करती हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी महिलाओं को प्रमुखता मिलती है। फिल्म उद्योग धीरे-धीरे ही सही लेकिन निश्चित रूप से इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं ने एक दायरे को तोड़ दिया है। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारत में ही हैं। अंत में रवीना ने कहा कि वह यह नहीं समझ पाती हैं कि पता नहीं क्यों भारत को अभी भी एक विकासशील देश कहा जाता है? जबकि भारत की महिलाएं सीमाओं से आगे निकल गई हैं और जहां तक ​​​​प्रगति की बात है तो उन्होंने दुनिया को पीछे छोड़ दिया है।

रेडियो को एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में बताते हुए और प्रधानमंत्री द्वारा लगभग सभी एपिसोड में महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करने का जिक्र करते हुए रवीना टंडन ने कहा कि सबसे पहले मैं प्रसार भारती और मोदी जी को मन की बात के 100 एपिसोड सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई देना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि रेडियो की व्यापक पहुंच तथा बदलाव का एक बहुत शक्तिशाली माध्यम होने के नाते और प्रधानमंत्री जिस तरह से बात करते हैं, उससे हम सभी को लगता है कि यह उनकी अपनी कहानी है। रवीना ने कहा कि प्रधानमंत्री का मन की बात कार्यक्रम सभी गांवों और घरों तक पहुंचने का साधन है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से प्रधानमंत्री जिस तरीके से रेडियो के द्वारा जमीनी स्तर से सच्चे नायकों की प्रशंसा करते हैं, वह एक अद्भुत विचार है और प्रत्येक भारतीय के दिल को छूने में अत्यधिक सफल रहा है।

सुश्री रवीना टंडन ने भी जी20 के तहत वीमेन20 का हिस्सा होने के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि उनकी अनुभूति उत्कृष्ट रही है और नीति निर्माण के लिए विचार-मंथन तथा एजेंडा सेटिंग एक समृद्ध अनुभव रहा है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर महिलाओं को वित्तीय सशक्तिकरण के माध्यम से प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। भारत एक ऐसा देश है जहां चंडी, काली दुर्गा जैसी देवी की तरह नारी शक्ति की पूजा की जाती थी और अब हमारे पास पायलट, बैंकर, टेक्नोक्रेट, खिलाड़ी महिलाएं हैं तथा ये सब हमारी नारी शक्ति हैं। रवीना ने यह भी कहा कि पर्यावरण तथा ग्लोबल वार्मिंग मेरे दिल के करीब है और महिलाएं पुनर्चक्रण एवं स्थिरता की ओर अग्रसर होती हैं तथा वे महिलाएं ही हैं जो समाज को आगे ले जाती हैं। महिलाओं इस प्रकाश को जितना संभव हो उतना फैलाना चाहिए क्योंकि वे किसी भी भूमिका में बहुत शक्तिशाली होती हैं और वे भलाई करती हैं।