ऋषिकेश मुखर्जी की परंपरा को आगे बढ़ा रही है फिल्म ‘जरा हट के जरा बच के’

आलोक नंदन शर्मा। ‘लुका छिपी’ और ‘मिमी’ जैसी बेहतरीन फिल्म बनाने वाले निर्देशक लक्ष्मण उतेकर मिडिल क्लास परिवार को केंद्र में रखकर ‘जरा हट के जरा बच के’ जैसी फिल्म बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी जैसे फिल्मकारों की फिल्म मेकिंग परंपरा को पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। मध्यम वर्गीय परिवार की जरूरतों, सपनों, आकांक्षाओं और परेशानियों को जिस खूबसूरती के साथ ऋषिकेश मुखर्जी पर्दे पर उकेर कर जादू पैदा करते थे, वही जादू लक्ष्मण उतेकर ने ‘जरा हट के जरा बच के’ में करने की कोशिश की है, और काफी हद तक सफल भी रहे हैं। भारतीय हिन्दी सिनेमा से मिडिल क्लास फैमिली गुम होता जा रहा था, अपनी फिल्म ‘जरा हट के जरा बच के’ के जरिये उन्होंने एक बार फिर से छोटी छोटी खुशियों के लिए जूझ रहे मध्यम वर्गीय परिवार को केंद्र में ला दिया है।

सौम्या दूबे और कपील दूबे की समस्या की समस्या यह है कि घर में परिवार के सदस्यों की बढ़ती संख्या की वजह से उन्हें प्राइवेसी नहीं मिल रहा है। इससे निजात पाने के लिए वे एक अलग घर लेने की प्लानिंग कर रहे हैं। इस घर के लिए उन्हें क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं वही इस फिल्म में दिखाया गया है, साथ में बिल्डरों द्वारा बेची जा रही मकानों की हकीकत भी बयां की गई है और सरकारी योजनाओं के तहत रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे घरों में भ्रष्टाचार का तड़का भी मार दिया गया है। सौम्या दूबे एक शिक्षिका है और कपील दूबे एक योग गुरू। सौम्या की भूमिका सारा अली खान ने निभाई है और योग गुरू की भूमिका विक्की कौशल ने। दोनों की कैमिस्ट्री अच्छी बन पड़ी है। ये दोनों इंदौर के रहने वाले हैं। इंदौरी लहजे को एडॉप्ट करने में विक्की कौशल ने काफी मेहतन की है, और उनकी यह मेहनत पर्दे दिखती भी है। वैसे इस फिल्म में और भी कई किरदार हैं लेकिन स्टेट एजेंट भगवान दास की भूमिका में इनामुल हक दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में निश्चतरूप से कामयाब होते दिख रहे हैं।

मैत्रेयी बाजपेयी और रमीज इलहाम खान ने भी इस फिल्म को लिखने में जमकर पसीने बहाये है। मिडिल क्लास परिवार के किरदारों की मानसिकता को पकड़ कर कहानी को आगे बढ़ाने में वह कामयाब रहे हैं।

इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी पृष्ठभूमि में इंदौर शहर है। मुंबई, दिल्ली, मद्रास और चेन्नई जैसे महानगरों को छोड़कर मिडिल क्लास फैमिली को इंदौर जैसे शहर में शिफ्ट किया गया है। यहां की स्थानीय भाषा और हाव भाव को लगभग सभी कलाकारों ने अपना रखा है। इंदौर जैसे मझोले शहर की पृष्ठभूमि में बुनी गई यह कहानी सहजता से देश के दूसरे मझोले शहरों में रहने वाले मिडिल क्लास परिवार के सदस्यों के साथ अपना रागात्मक संबंध स्थापित कर लेती है, क्योंकि इस तरह के शहरों में रहने वाले मिडिल क्लास परिवार के लोगों की समस्याएं भी कमोबेश एक जैसी ही है।

इस फिल्म को पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है, फिल्म में न तो फूहड़ संवाद है और न ही अश्लील सीन है।

सारा अली खान और विक्की कौशल के अलावा इस फिल्म में मुख्य भूमिका भूमिका निभाने वाले कलाकारों में राकेश बेदी, शारिब हाशमी, आकाश खुराना सुष्मिता मुखर्जी, नीरज सूद आदि प्रमुख हैं। फिल्म के प्रोड्यूसर दिनेश विजन और ज्योति देशपांडे भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी पर यकीन किया और पैसे लगाये।

फिल्म क्यों देखे : साफ सुथरा मनोरंजन के साथ साथ सारा अली खान और विक्की कौशल की केमिस्ट्री के लिए।