ऐसी तारीफ हो रही है जैसे मैं तीसरा विश्व युद्ध जीत कर आया हूं : जावेद अख्तर

ऐसी तारीफ हो रही है जैसे  मैं तीसरा विश्व

युद्ध जीत कर आया हूं : जावेद अख्तर

मुंबई। लेखक-गीतकार जावेद अख्तर को लेकर इन दिनों भारत और पाकिस्तान में जबरदस्त बहस चल रही है। पाकिस्तान की राजधानी लाहौर में मशहूर लेखक फैज अहमद फैज की याद में आयोजित एक कार्यक्रम एक पाकिस्तान नागरिक द्वारा पूछे एक सवाल के जवाब में जावेद अख्तर ने जो कुछ कहा था कि उसे लेकर एक ओर पाकिस्तान के लोगों में नाराजगी है तो दूसरी ओर भारत में जावेद अख्तर की जबरदस्त वाहवाही हो रही है। इस विषय पर भारत के समाचार पत्रों में संपादकीय तक लिखे जा रहे हैं, जिनमें यहां तक कहा जा रहा है कि जावेद अख्तर ने पाकिस्तान में घुसकर मारा है। जिस तरह से भारत में जावेद अख्तर को एक योद्धा के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है उससे खुद जावेद अख्तर भी आश्चर्यचकित हैं।

एक टीवी चैनल को दिये गये साक्षात्कार में जावेद अख्तर ने कहा है कि यह बात इतनी बड़ी हो जाएगी मुझे नहीं पता था। लोग तो ऐसे मेरी तारीफ कर रहे हैं जैसे मैं तीसरा विश्व युद्ध जीत के आया हूं। मुझे ये बातें कहनी थीं, क्या हमें चुप रहना चाहिए? नहीं न! मुझे अब जाकर पता लग रहा है कि मेरे बयान ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है।

बता दें कि मशहूर लेखक फैज अहमद फैज की याद में लाहौर मे आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक पाकिस्तानी नागरिक द्वारा भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जावेद अख्तर ने कहा था कि हम तो बंबई के लोग हैं। हमने देखा वहां हमारे साथ क्या हुआ था। हमला करने वाले नार्वे या मिस्र से नहीं आये थे और वे लोग आज भी पाकिस्तान में घूम रहे हैं। ये शिकायत यदि हिन्दुस्तानियों के दिल में है तो आपको बुरा नहीं मानना चाहिए। जावेद अख्तर के इस बयान के बाद वहां पर हॉल में मौजूद लोगों ने जबरदस्त तालियां भी बजाई थी। लेकिन जल्द ही इस बयान को लेकर पाकिस्तान में तल्ख प्रतिक्रिया ही होने लगी थी और यह सवाल उठने लगे थे कि जावेद अख्तर को पाकिस्तान में आने के लिए वीजा क्यों दिया गया। टीवी चैनल को दिये गये अपने साक्षात्कार में जावेद अख्तर ने आगे कहा है कि पाकिस्तान में लोग अपनी सरकार से पूछ रहे हैं कि मुझे वीजा क्यों दिया गया ? अब मुझे बस यही एक चीज याद रहेगी कि वह किस तरह का मुल्क है, मैं जिस देश में पैदा हुआ हूं। वहां मैं विवादास्पद बयान देता आ रहा हूं। मैं अपने देश में डर के नहीं जीता तो यहां किस बात से डरूंगा।